पहलगाम नरसंहार: धर्म पूछकर मौत बाँटी गई, इंसानियत के नाम पर एक सवाल
- Anu Goel
- May 10
- 3 min read
कश्मीर की शांत वादियों में एक भयावह सन्नाटा
पहलगाम — जिसे लोग मिनी स्विट्जरलैंड कहते हैं, जहाँ हनीमून कपल्स और परिवार अपनी खुशियों के सपने लेकर जाते हैं।लेकिन इस बार कश्मीर की हवा में बर्फ नहीं, बल्कि खून की बूंदें घुल गईं।

कश्मीर की वादियाँ, जिन्हें कभी धरती का स्वर्ग कहा जाता था,आज फिर खून से लाल हो गईं।लेकिन इस बार मामला सिर्फ आतंकवाद का नहीं है,इंसानियत के दम तोड़ने का है।
1. छुट्टियाँ मनाने आए थे, मौत गले लग गई
करनाल से आए एक नवविवाहित जोड़े की शादी को सिर्फ 6 दिन हुए थे।हनीमून के सपने लेकर वे पहलगाम के खूबसूरत वादियों में भेलपूरी खा रहे थे।
तभी कुछ आतंकवादी आए।पहला सवाल: "तुम्हारा धर्म क्या है?"और बिना देर किए, उनके पति — जो सेना के लेफ्टिनेंट भी थे — को सबके सामने गोली मार दी गई।
नवविवाहिता के शब्द:
"मैं कुछ समझ भी नहीं पाई... एक पल में सब कुछ खत्म हो गया।"
2. जब पत्नी ने चिल्लाकर कहा: "मुझे भी मार दो..."
एक और परिवार के साथ और भी दिल दहलाने वाली घटना हुई।पति को मारते देख पत्नी बिलख उठी:
"मुझे भी मार दो...!"
आतंकी ने ठंडे स्वर में जवाब दिया:
"नहीं... तू जाकर मोदी को बता देना — हम लौट आए हैं।"
ये शब्द किसी गोली से भी ज्यादा चुभते हैं।ये साफ इशारा था — डर फैलाना, दहशत बनाना।
3. सेना और सुरक्षा एजेंसियों की चूक?
सवाल यहाँ केवल आतंकियों की बर्बरता का नहीं है।भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों की एक भयानक चूक भी सामने आई है।
जासूसी एजेंसियों ने रिपोर्ट किया था कि "0 आतंकी मूवमेंट" है।
उनका अनुमान था कि नया रेलवे ट्रैक ही संभावित टारगेट होगा।
लेकिन किसी ने सपने में भी नहीं सोचा कि पर्यटकों को धर्म पूछकर मारा जाएगा!
इतनी लापरवाही, इतनी अतिआत्मविश्वास, और इतनी बेफिक्री ने 26 निर्दोष जानें छीन लीं।
4. बर्बरता की हद: कपड़े बदलकर ली सेल्फी
हद तो तब हो गई जब आतंकियों ने गोलीबारी के बाद अपने कपड़े बदले और फिर से घटनास्थल पर लौटकर सेल्फी खींचीं।
सोचिए, कैसी मानसिकता होगी इन आतंकवादियों की?
एक जवान नवविवाहित दंपती की हत्या के बाद सेल्फी लेना,ये सिर्फ आतंक नहीं — ये इंसानियत के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है।
5. क्या हिंदू होना अब गुनाह है?
कश्मीर हिंदू बहुल राज्य नहीं है, फिर भी क्या सिर्फ हिंदू पहचान होने की सजा मिलनी चाहिए?
साल 2023 में करीब 34 लाख टूरिस्ट आए थे कश्मीर।
अब 2024 में ये संख्या बढ़कर 2 करोड़ 34 लाख तक पहुँचने वाली थी।
कितना भरोसा, कितनी मेहनत, कितना प्रचार — सब एक लापरवाही में बर्बाद हो गया।अब कौन टूरिस्ट कश्मीर जाएगा?
क्या हिंदू होना अब एक ऐसा अपराध बन गया है जिसकी सजा गोली से दी जाती है?
6. कश्मीरी पंडित नरसंहार से भी बड़ा अपराध?
कश्मीरी पंडितों को जब 90 के दशक में निकाला गया था,तब उन्हें डर का आभास था।
लेकिन इन टूरिस्टों ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था किउनका हनीमून, उनका फैमिली ट्रिप,एक नरसंहार में बदल जाएगा।
छोटे-छोटे बच्चों के सामने उनके माता-पिता, पति, बेटे को गोली मार दी गई।
7. धर्म पहचानने के तरीके: कलमा और क्रूरता
एक नेवी अफसर जिसकी शादी बस कुछ हफ्ते पहले हुई थी,जब जान बचाने के लिए कलमा पढ़ा,तब भी आतंकियों ने उसे संदेह की नजर से देखा।
जब शक हुआ, आतंकियों ने उससे जबरन पैंट उतरवाई।
फिर उसे गोली मार दी गई।
ये कैसा धर्म है जो पहचान पर ही जान लेता है?
8. दो तरह के कश्मीरी: एक जो मारते हैं, एक जो बचाते हैं
यह बात भी ध्यान देने वाली है कि कश्मीर में सभी लोग आतंकवादी नहीं हैं।
एक हॉर्स वाले ने एक बच्ची को, जिसके पिता मारे जा चुके थे,अपनी जान जोखिम में डालकर सेना कैंप तक पहुँचाया।
उसने बच्ची को एक लाइन का कलमा भी सिखाया ताकि अगर दुबारा कोई धर्म पूछे तो जान बच सके।
एक कश्मीर वह है जो मारता है।दूसरा कश्मीर वह है जो बचाता है।
निष्कर्ष: कब तक चलेगा यह खूनी खेल?
हम धर्म के नाम पर दूसरों से नफरत नहीं करते।तो फिर कौन हैं ये जो धर्म पूछकर गोलियां चलाते हैं?
"अब चुप रहना भी पाप है।अब हमें उठना होगा।अब हमें पूछना होगा — कब तक?"
अंतिम शब्द:
धर्म की रक्षा के नाम पर अगर तुमने किसी माँ की गोद उजाड़ी,किसी पत्नी की मांग सूनी की, तो तुम किसी धर्म के नहीं —मौत के पुजारी हो।
Call To Action:
अगर आप भी चाहते हैं कि धर्म के नाम पर हत्या रुके,तो इस कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।क्योंकि अब चुप्पी नहीं, आवाज़ चाहिए।
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