रिश्तों के मेले में एक बेनाम सा रिश्ता ऐसा भी होना चाहिए,
जो दूर होकर भी बेहद करीब हो ऐसा कोई हमनवां होना चाहिए।
जो बिन बोले समझ लें तुम्हारे सब रंजोगम, ऐसा कोई हमदर्द होना चाहिए।
जो भीड़ में भी साथ हो और तन्हाई में भी दिल का सूकुन हो, ऐसा कोई हमसफ़र होना चाहिए।
जिसका कोई नाम ना हो , पर फिर भी रूह का सूकुन हो।
जो होने को कुछ नहीं , पर फिर भी पूरा ज़हान हो।
रिश्तों के मेले में एक बेनाम सा रिश्ता ऐसा भी होना चाहिए।